दुर्घटना चोट या मानसिक सदमें सo पार्किन्सन रोग नहीं होता । मेडिकोलीगल कोर्ट केसेस में यह मुद्दा कभी-कभी उठता है । उदाहरणार्थ एक व्यक्ति के सिर पर भारी वस्तु गिरने के बाद यह रोग विकसित होने लगा । दोनों के आपसी सम्बन्ध को लेकर कोई वैज्ञानिक सबूत मौजूद नहीं है । कुछ मरीज इसका सम्बन्ध अनावश्यक ही सडक दुर्घटनाओं से , ऑपरेशन से या मानसिक शॉक व तनाव से जोडते हैं । सच्चाई यह है कि हजारों लाखों लोग इस प्रकार की दुर्घटनाओं व हादसों का शिकार होते हैं परन्तु उन्हें पार्किन्सन रोग नहीं होता और जिन्हें होता है उनमें से बहुतों को ऐसी कोई घटना नहीं घटी होती ।
बहुत थोडे से मामलों में पार्किन्सन रोग से मिलते जुलते लक्षण किन्हीं अन्य कारणों या रोगों से हो सकते हैं जैसे कि (१) कुछ प्रकार की औषधियाँ जो मानसिक रोगों में प्रयुक्त होती हैं (२) मस्तिष्क तक खून पहुंचाने वाले नलियों का अवरुद्ध होना (३) मस्तिष्क में वायरस के इन्फेक्शन (एन्सेफेलाइटिस) (४) मेंगनीज की विषाक्तता । परन्तु मूल, मुख्य पार्किन्सोनिज्म रोग का कारण ठीक से ज्ञात नहीं है ।
इतना जरूर जाना जाता है कि मस्तिष्क के गहरे केन्द्रीय भाग में स्थित एक विशिष्ट रचना स्ट्राएटम की कोशिकाओं में गडबडी शुरु होती है । सब्सटेंशिया निग्रा (शाब्दिक अर्थ काला पदार्थ) की न्यूरान कोशिकाओं की संख्या कम होने लगती है । वे क्षय होती है । उनकी जल्दी मृत्यु होने लगती है । आकार छोटा हो जाता है । उनके द्वारा रिसने वाला महत्वपूर्ण रसायन न्यूरोट्रांसमिटर "डोपामीन" कम बनता है ।
ये कोशिकाएं क्यों अकालमृत्यु को प्राप्त होती है ? अनेक व्याख्याएं व परिकल्पनाएं हैं । कुछ भूमिका शायद जीन्स या आनुवांशिक गुणों की हो, पर अधिक नहीं । वातावरणीय कारक वक्त के साथ प्रभाव डालते हैं - तरह-तरह के इन्फेक्शन, प्रदूषण, खानपान आदि । खास तत्व की पहचान नहीं हो पाई है । इस प्रश्न का भी उत्तर नहीं मिल पाया है कि उक्त अज्ञात वातावरणीय कारक सिर्फ गिने चुने लोगों पर ही असर क्यों डालता है । तथा शेष जनता पर क्यों नहीं ? यह रोग एक मनुष्य से दूसरे मो नहीं लगता । यह छूत की बीमारी नहीं है । साथ में खाने पीने, बैठने उठने बात करने आदि से यह रोग नहीं फैलता ।
सन् ८० के दशक में संयोगवश देखा गया है कि ब्राउन शुगर से मिलती जुलती नशे की एक अन्य वस्तु में एम.पी.टी.पी. नामक पदार्थ की मिलावट वाला इंजेक्शन लगवाने वाले कुछ युवकों म| पार्किन्सोनिज्म रोग तेजी से विकसित होता है । तब अनुमान लगाया गया कि एम.पी.टी.पी. जैसा पदार्थ वातावरण से या शरीर से स्वतः किसी तरह पैदा होकर मस्तिष्क की विशिष्ट कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता होगा ।
स्ट्राएटम तथा सब्सटेंशिया निग्रा (काला पदार्थ) नामक हिस्सों में स्थित इन न्यूरान कोशिओं द्वारा रिसने वाले रासायनिक पदार्थों (न्यूरोट्रांसमिटर) का आपसी सन्तुलन बिगड जाता है । विशेष रूप से डोपामीन नामक रसायन की कमी हो जाती है, तथा एसीटिल कोलीन की मात्रा तुलनात्मक रूप से बढ जाती है ।
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9 टिप्पणियां:
Very educative information
क्या यह छोटे बच्चों को भी हो सकता है
Mere father Ko kuch kampan ,bhukh b km.lagti h aur weight b km hota hai Raha h,yaddasht me b kmi aayi h kya ye ISI bimari k Lakshan h , please reply fast
मेरी बहन को ये रोग हुआ है क्या यह रोग जड़ से खत्म हो सकता है!?
कृपया मुझे बताइये...
RANVIJAY KUMAR Age 22 year Koi doctor batayenge ye kaise thik hoga hamko yah bimari ho gayi hai day by day Mai dipretion me ja raha hu
इस बिमारी का इलाज बताएँ ।
जी हां ये रोग ठीक हो सकता है बशर्ते आपको अपनी बहन के दिमाग को साफ करना पड़ेगा उसके दिमाग में को उधेड़ बुन चल रही है उसको रोकना होगा उसको ये यकीन दिलवाना होगा ये जो हो रहा है ये केवल आपकी दिमाग में कुछ रसायन ना पैदा होने के कारण हो रहे है और उसका भूतो जैसी बाते काल्पनिक होती है ये यकीन दिलवाना होगा। जिस दिन उसके दिमाग ने ये समझ लिया के ये कुछ दिव्य नहीं ये केवल उसके दिमाग में कुछ गडबड की वजह से है उस दिन बिना किसी दवाई के आपकी बहन ठीक होने लग जाएगी।
Meri dadi pichle 16 mahine chal nahi pa rahi hai aur kuch bolti bi nahi ek sal se 16 mahine pehale oh kahiti thi muze muh par girne jaisa lagta hai uthne baithe bhi taklif thi 2019 ka pura sal usne na chalte hui gijara sath usko type two dibeties hai 2ol9 sal auguest tak oh thoda thoda bolti thi 1.2.sentence ab bolti bi nahi medicine ka koi asar nahi hai dementia, depression, aur synacapone namak use tablet suru hai koi asar nahi teji weight gain ho raha hai hum log bahut pareshan hai pramarsh dekar humari sahayata kijiye
मेरे पापा को पार्किंसन का प्रोब्लेम सात साल से है।बहुत जगह इलाज करवा चुका हु। अब मेडिसिन भी कम नही कर रहा है।कहा दिखाए कृपया मार्गदर्शन दे।
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