कार्लोवी वेरी (चेक गणराज्य) - चौदहवीं शताब्दी में चेक राष्ट्र का प्रतापी और लोकप्रिय राजा चार्ल्स चतुर्थ एक बार शिकार पर निकला । पूरे दल-बल के साथ । मध्य यूरोप के बोहेमिया राज्य के पश्चिमी भाग के पहाडों और जंगलों में जा पहुंचा । उसका घोडा तेज दौडते हुए आगे निकल गया । दूसरे सरदार व सैन्य अधिकारी पीछे भटक गये । राजा की नजर एक बडे हिरण पर थी जो बार-बार ओझल होता फिर दिख पडता । यकायक एक कगार पर से वह गायब हो गया । राजा के शिकारी कुत्ते भी वहीं से गायब हो गये । कुछ क्षणों बाद कुत्तों के चिल्लाने की आवाजें आयीं, मानों दर्द में कराह रहे हों । एन कगार पर लगाम खींच कर चार्ल्स ने घोडे को रोका । नीचे गहराई में गरम उबलते हुए पानी के एक कुण्ड में कुत्ते तडप रहे थे । इस तरह खोज हुई गरम पानी के सोतों की । यह किवदन्ती है । यह स्थान कार्लोवीवेरी के नाम से प्रख्यात है ।
किसी क्षेत्र के पर्यटन आकर्षणों की सूची में अनेक प्रकार के तत्वों की गिनती की जाती है जैसे - मौसम, प्राकृतिक सौन्दर्य, संस्कृति, भोजन आदि । इसी श्रेणी में एक और लोकप्रिय उदाहरण है - स्पा । इसका हिन्दी अनुवाद कठिन है । प्राकृतिक या कृत्रिम दोनों प्रकार के स्पा होते हैं । गरम पानी के सोते, झरने या कुण्ड । स्वास्थ्य लाभ के लिये उत्तम । साथ में व्यायाम शाला, स्टीम बाथ, सॉना, शुद्ध भोजन, मालिश आदि । अपने केरल में आयुर्वेदिक उपचार व मालिश को आधुनिक महंगे स्पा केन्द्रों के साथ जोड कर टूरिज्म व्यवसाय खूब पनप रहा है ।
चेक गणतंत्र भी अपने महंगे, आभिजात्य स्पा केन्द्रों के लिये प्रसिद्ध है । पिछली दो शताब्दियों में यूरोप के राजा, सामन्त, सरदार, लार्डस, ड्यूक्स, रईसजादे अपने बिगडैल शरीर (और ? मन) को सुधारने और शुद्ध करने (या शायद और बिगाडने ?) के लिये यहां आते रहे हैं ।
चेक गणराज्य व जर्मनी के बवेरिया प्रान्त के सीमान्त इलाकों में ऐसे बहुत सारे स्पा या गरम पानी के स्रोत हैं ।
प्राहा से सुबह नौ बजे कार्लोवी वेरी के लिये जब हम रवाना हुए तो सूरज न निकल पाया था । खबर मिली कि गन्तव्य पर तापमान शून्य से ८-९ डिग्री सेल्सियस नीचे है । कार्लोवीवेरी जनपद की सीमा में पहुंचने पर वहां की स्थानीय शटल बस में बैठे । बाहरी वाहनों के आने पर अंकुश लगाया गया है । एक अलग तरह की दुनिया है । ग्रीष्म ऋतु में जब पर्यटन का मौसम होता है तब यहां भारी भीड, चहल पहल और रौनक होती होगी । मगर इस घन-घोर ठण्ड में भी यहां की रंगीनियत समृद्धि और अभिजात्य सुन्दरता में कोई कसर न थी ।
दो छोटी नदियां । खून जमा देने वाले साफ पानी में तैरती बतखें । वैभव विलास से परिपूर्ण भवन अनेक होटल्स या निजी हवेलियां और प्रासाद । दुनिया भर के रईस, विशेषकर यूरोप और रूस से यहां आते । अनेक सप्ताह ठहरते । अपनी पराकाष्ठा के समय (अठ्ठारहवीं और १९ वीं शताब्दी में) अचल सम्पत्ति के दाम के मान से यह दुनिया की दूसरी सबसे महंगी जगह थी । प्रत्येक भवन अप्रतिम स्थापत्य और कलात्मक, बेरोक शैली की सजावट के नायाब नमूने । नदी किनारे फुटपाथ और उस पर छोटे-छोटे पुल । उस काल में तथा बीसवीं शताब्दी में भी दुनिया के वी.आई.पी. लोगों में कौन होगा जो यहां न आता होगा ।
चारों ओर छोटी पहाडयां, घने जंगल । बीच घाटी में दो नदियाँ । और नदियों के बीच -बीच, जगह-जगह, धरती के अन्दर की भूगर्भीय ताप ऊर्जा के कारण ताकत के साथ फूटते गरम पानी के फव्वारे । भाप उडती हुई । पानी का रंग मटमैला । सल्फर और मैग्नेशियम तथा अन्य धातुओं और लवणों से भरपूर हल्की रासायनिक गन्ध । अनेक स्रोतों को नये पुराने किस्म के भवनों से ढंक दिया गया है । एक सुन्दर इमारत (कोलोनेड) अपने लाल किले के दीवाने-आम जैसी लग रही थी । गरम पानी पीने के नलके लगे थे और उन सबसे प्राप्त जल का तापमान अंकित था - ३५ डिग्री, ४५ डिग्री, ५० डिग्री या ६० डिग्री सेल्सियस । भ्रमण के अन्त में हम एक पहाडी पर स्थित ऊंचे वाच टावर पर पहुंचे । घाटियां हरी व सुन्दर भी । शाम का आकाश सुनहरा पीला ।
इस प्रसिद्धि के पीछे विश्वास यह रहा कि इस पानी में स्नान करने तथा उसे पीने से बहुत सी बीमारियां दूर होती हैं, स्वास्थ्य लाभ होता है । सबूत पर आधारित वैज्ञानिक चिकित्सा के इस युग में उक्त दावों और विश्वासों पर सन्देह किया जाता है । इस वजह से अब कार्लोवी वेरी का महत्व व लोकप्रियता कुछ कम हो गये हैं ।
गरम पानी के सोतों व कुण्ड दुनिया भर में मिलते हैं । मैंने स्वयं शान्ति निकेतन के समीप पश्चिमी बंगाल में और मनाली, हिमाचल प्रदेश के वशिष्ठ कुण्ड में स्नान किया है । सल्फर की प्रचुरता के कारण सम्भव है कि इस पानी में कीटाणुओं व फंगस को नष्ट करने की क्षमता हो और इस वजह से शायद कुछ चर्म रोगों में लाभ होता हो ।अन्य फायदे केवल मनोवैज्ञानिक प्रतीत होते हैं । मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले में भादवा माता के कुण्ड में नहाने से लकवा या पेरेलिसिस में फायदा होने की मान्यता इसी प्रकार की अवैज्ञानिक जनश्रुति पर आधारित है ।
गर्म झरनों में से सबकी किस्मत में प्रसिद्धी नहीं लिखी होती । जैसे कि किसी स्थान पर मन्दिर या तीर्थ संयोगवश हिट हो जाते हैं वैसे ही ये स्पा भी हैं । कार्लोवी वेरी का नाम मैंने पहले सुना था - उच्च श्रेणी के अन्तरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के केन्द्र के रूप में भी ।
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1 टिप्पणी:
यह तो घूमने लायक जगह लगती है।
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