दायाँ हो या बायाँ; सीधा हो या उल्टा : वाचाघात से उसका क्या सम्बन्ध ?
अधिकांश लोग (लगभग ९०%) दैनिक जीवन के कामकाज में दाहिने हाथ का उपयोग अधिक करते हैं बजाय कि बायें हाथ के । खासकर के भोजन करना, लिखना आदि काम लगभग सभी लोग सीधे या राइट हेण्ड से करते हैं। लेफ्ट हेन्डर (खब्बू) की संख्या कम है। बहुत थोडे से ऐसे भी होते हैं जो दोनों हाथों से समान रूप से निपुण होते हैं। अर्जुन अपना गाण्डीव धनुष चलाते समय किसी भी हाथ का समान दक्षता से प्रयोग करता था। उन्हें सव्य साची कहते हैं।
दाहिने हाथ से अधिक काम करने वालों के मस्तिष्क का बायाँ गोलार्ध भाषा व वाणी का नियंत्रण करता है। केवल दो प्रतिशत अपवाद छोड कर । बायें हाथ से काम करने वालों में मस्तिष्क के दायें गोलार्ध द्वारा वाणी पर नियंत्रण करने की सम्भावना अधिक रहती है - लगभग पचास प्रतिशत।
जब दिमाग के बायें आधे गोले में पक्षाघात का अटैक या अन्य रोग आता है तो शरीर के दायें आधे भाग में लकवे के साथ-साथ बोली भी चली जाती है, अफेजिया/वाचाघात होता है।
जब दिमाग के दायें आधे गोले में पक्षाघात का अटैक या अन्य रोग आता है तो शरीर के बायें आधे भाग में लकवे के साथ-साथ बोली या भाषा पर कोई असर नहीं पडता, वाचाघात/अफेजिया नहीं होता।
जब मानव मस्तिष्क का विकास अन्य प्राणियों की तुलना बहुत ऊंचे स्तर पर पहूँचने लगा तो श्रम-विभाजन का सिद्धान्त लागू होने लगा। काम जटिल हैं। काम बहुत सारे हैं। यह काम तुम करो। यह काम वह करेगा। विशेषज्ञकरण। स्पेशलाईजेशन। जानवरों के दिमाग में इसकी जरूरत नहीं है। केवल इन्सान के दिमाग में जरूरी है। भाषा व बोली की जिम्मेदारी बायें गोलार्ध के कुछ हिस्सों पर आन पडी। उन हिस्सों को छोड कर दिमाग के शेष भागों में रोग होवे तो बोली का लकवा नहीं होगा।
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